Nadi ke paar woh ( Ghost across the Lake)

( नदी के पार “वो ” , जिसकी डरवानी हँसी से आज भी रूह कांप जाती है ) ये बात तब की है जब मै 12 साल का था | मेरा घर पंजाब के एक छोटे से गाँव में था | मै और मेरे दोस्त रात को खाना खाकर गाँव की गलियों में खेलते थे | एक रात मेने चाचा जी से सुना कि गाँव में नदी के पार कुछ रहता है जो अपनी मर्जी से कोई भी रूप ले लेता है और उसके हसने की आवाज़ बहुत डरावनी होती है जो दूर दूर तक सुनाई देती है | उसका असली रूप जिसने देखा उनमे से कुछ तो मर गए और बचे हुए उसके भयानक रूप के बारे में किसी को नहीं बताते थे | गाँव के लोग डर के मारे उसका नाम लेने के बजाय “वो ” ही कहते थे | खैर उस रात मेने ये सारी बात अपने दोस्तों को बताई और साथ चलने को बोला | कुछ तो डर गए और कुछ मेरे साथ चलने को तैयार हो गए | अब हम चार दोस्त मै , बिट्टू , पवन और अशोक नदी की तरफ चल पड़े | हम खेतो में से जा रहे थे और आस पास कोई नहीं था | फिर हम नदी के ऊपर बने पुल से नदी पार करके बंजर जगह पर पहुच गए जहा बहुत से आंक के पौधे थे जिसके ऊपर आम जैसे फल लगे होते है जिसके अंदर रुई जैसा कुछ होता है | हमे बाद में पता चला कि कि रात को उस...