A NIGHT IN HAUNTED LIBRARY (in hindi)
लाइब्रेरी में वह रात
(A NIGHT IN HAUNTED LIBRARY) ....
ये घटना तब की है जब जसमीत कॉलेज में पढाई कर रही थी | वो उस समय वहा के गर्ल्स हॉस्टल में ही रहा करती थी | परीक्षा से पहले वो और उसकी कुछ सहेलिया लाइब्रेरी में पढाई कर रही थी | पढाई करते हुए रात के 12:30 बज चुके थे | उस लाइब्रेरी में वो केवल 6 लडकिया ही थी |
लाइब्रेरी में सन्नाटा छाया हुआ था | सारा हॉस्टल एकदम शांत था | तभी उनमे से एक लडकी ने कहा कि “बस यार पढ़ पढ़ के बोर हो गए है क्यों ना कोई खेल खेले जिससे दिमाग भी फ्रेश हो जाएगा और नींद भी आ जायेगी “| सब उसकी बात से सहमत हो गए |
उनमे से एक लडकी जिसका नाम पूजा था बोली कि “चलो हम सब किसी आत्मा से बात करते है | यह सुनकर कुछ लड़किया तो डर गई , पर कुछ ने रोमांचित आवाज़ निकाली।
ये सब कहकर वो अपने कमरे में गयी और Ouija board लेकर आयी, जिसपर A to Z तक alphabet , 0 से 9 तक नंबर और किनारों पर Yes और No लिखा था | पूजा ने बोर्ड के चारो किनारों पर चार मोमबत्तिया जलाई और फिर लाइब्रेरी की सारी लाइट बंद कर दी | फिर उसने सिक्का बोर्ड के बीच में रख दिया |
उनमे से दो लडकिया तो डर के मारे अपने कमरे में चली गयी और बाकी चारो ने उस सिक्के पर एक एक अंगुली रख दी | फिर पूजा ने कहा कि कोई डरना मत और यहा से उठना मत वरना आत्मा नाराज हो जायेगी |
अब पूजा की आँखों में एक अजीब सी चमक दिखाई दे रही थी, वह रोमांचित पर बेहद गंभीर आवाज़ में बोलने लगी ,“अगर यहा पर कोई आत्मा है तो प्लीज हमसे बात करो |"
"हम लोग आपको परेशान नहीं करना चाहते ,सिर्फ आपसे बात करना चाहते हैं। "
लाइब्रेरी में आजीब सा सन्नाटा और अँधेरा छाया हुआ था, ऐसा नहीं लग रहा था के कोई भी प्रतिकिर्या होगी पर अचानक लाइब्रेरी में कही से कुछ आवाज़ आयी |
उन्होंने सोचा शायद कोई किताब गिरी होगी परन्तु उसी समय सिक्का हिला और जसमीत ने पूछा “क्या यहा पर कोई आत्मा है ?”
एक अजीब सी ठंडक का अहसास चारो तरफ फैल गया , सब कुछ जैसे सुन्न हो गया हो , तभी छत पर लगा बंद पंखा जोर-जोर से हिलने लगा | सभी लडकिया डर गयी और चीख़ने चिल्लाने लगीं लेकिन तभी पूजा ने कहा कि कोई भी लडकी अकेली मत भागना | ऐसा करने से आत्मा उसे नुकसान पंहुचा सकती है |ऐसा सुनते ही सभी लड़किया शांत हो गयी।
उसके बाद पूजा ने ऊपर देखते हुए कहा कि “अगर कोई आत्मा यहा है तो हमसे बात करे “| कुछ देर तक सन्नाटा रहा और अचानक सारी मोमबत्तिया बुझ गयी और लाइब्रेरी से कदमो की " ठक ठक " की आवाज़ आने लगी | सभी लडकिया डर के मारे भाग गयी लेकिन इस भागदौड़ में जसमीत पीछे रह गयी।
जसमीत को दरवाज़ा नहीं मिल रहा था वह बस अँधेरे में इधर उधर भागती रही। फिर कुछ समय बाद उसे अहसास हुआ के वह उस लाइब्रेरी में अकेली रह गयी थी। बाहर से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी और ख़ौफ़ के साथ उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
उसकी सांस बहुत गहरी हो रही थी , उसके दिमाग के एक कोने से यह आवाज़ आ रही थी के यह ज़रूर बुरा सपना होगा , उसे तो बस जागना था फिर यह सब ख़तम हो जाएगा।
पर अफ़सोस यह सब हकीकत में हो रहा था। फिर , एकदम से उसका दिल धक्क रह गया जब उसने देखा के उसके सामने दरवाज़ा था। वो भाग कर दरवाज़े की तरफ गई और उसने दरवाज़े को ज़ोर से खीचा पर दरवाज़ा हिला तक नहीं | वो निराश हो कर दरवाज़े को धक्के मारने लगी और सुबकने लगी।
उसके बाद फिर से वही सन्नाटा फैल गया और " लकड़ी के चरमराने की आवाज़ आयी , जैसे कोई सामने पड़ी लकड़ी की कुर्सी पर बैठ गया हो ", जसमीत बहुत डर गयी और फिर से दरवाज़ा खोलने की कोशिश करने लगी पर तभी अचानक उसे लगा कि कोई उसे पीछे की तरफ खीच रहा है | वो जोर जोर से रोने और चिल्लाने लगी | उसकी आवाज़ सुनकर हॉस्टल की सारी लडकिया जाग गयी और उठ कर लाइब्रेरी की तरफ दौड़ी |हॉस्टल वार्डन और सभी लडकियों ने मिलकर दरवाज़ा खोला और जसमीत को बाहर निकाला।
A Story By- S.S.Wulfric
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